*💎करामात ए आलाहज़रत📿*
*🔖पोस्ट नम्बर::-3️⃣*
📿एक शख्स हबीबुर्रहमान नाम के थे उनको बचपन में निमोनिया हुआ और उनका इंतेक़ाल हो गया इकलौता लड़का था घर में कोहराम मच गया,कफन दफन का इंतेज़ाम होने लगा उनके वालिदैन बरैली शरीफ में ज़ेरे सायये आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ही रिहाइश पज़ीर थे,वालिदा रोती हुई आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुंची और कहने लगी मेरा इकलौता बेटा इंतेक़ाल कर गया आप ही की दुआ से नसीब हुआ था हुज़ूर मुझे मेरा लड़का चाहिए हुज़ूर मुझ बेचारी पर नज़रे करम फरमाइये,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने असा उठाया और उसके घर की तरफ चल दिए सब लोग आपको देख कर ताज़ीम के लिए खड़े हो गए,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया पर्दा कर लीजिये ज़रा हम भी तो देखे पर्दा हुआ और आप मय्यत के करीब पहुंचे,ये देख कर हबीबुर्रहमान की वालिदा और ज़ोर ज़ोर से रोने लगीं हुज़ूर मेरा बेटा ज़िंदा कीजिये मुझे और कुछ नहीं चाहिए आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने बच्चे के ऊपर से कपड़ा हटाया और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ कर फ़रमाया “आंखें क्यों नहीं खोलता देख तो तेरी वालिदा क्या कह रही है” सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का इतना फरमाना था कि बच्चे ने आंखें खोल दी और रोना शुरू कर दिया,आप ने फरमाया ये बच्चा तो जिंदा है कौन कहता था कि ये मर गया फिर तो हर तरफ ख़ुशी की लहर दौड़ गई,आपने उस पर मुहब्बत और शफ़्क़त से हाथ फेरा तो वो खामोश हो गया और बच्चे के चेहरे पर मुस्कुराहट मालूम होने लगी,आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की करामत से हबीबुर्रहमान ज़िंदा हुए और बुढ़ापे तक जिंदा रहे
*(📚तजल्लियाते इमाम अहमद रज़ा,सफह 103)*
*➡पोस्ट जारी है....*
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*◦•●◉✿📓 दीने इस्लाम 📓✿◉●•◦*