* *_शहीदे करबला_🇸🇦 *
* _ कलेजा थाम लोगे जब पानहोगे- *
* - ये मज़मुन ह शहीदे करबलाका_ *
* जिक्र_ए_हुसैन رضي الله تعالي عنه *
* पोस्ट नम्बर 0 पोस्ट1⃣ *
* *_विलादते मुबारका_ला *
ضहज़रते इमामे हुसैन ر💚ي الله تعالي عنه की विलादत 5 शाबान सी 4 ही को मदीने में हुई। हुज़ूर श ने आपको का नाम हुसैन और शब्बीर रखा और आप की कफ़त अबू अब्दुल्लाह और लक़ब सिबते रसूलुल्लाह और रैहानतुर्रुलुल है, और आप के बरादुर मुअज़्ज़म की तरह आप को भी जन्नती जवानो के सरदार और अपना फ़रज़न्द फ़रमाया।
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हुज़ूर ज़ को आप رضي الله تعالي عنه के साथ कमाले रफ्त व महबूबत। हदीश में इरशाद हुवा: जिसमें इन दोनों (इमामे हसन व हुसैन رضي الله تعالي عنهم) से महबत की उस ने मुझे मुझसे महबत की और जिस ने ये अदावत की उस मुझे मुझसे अदावत की।)
हुज़ूर ज़ ने इन दोनों नौनिहालो को फूल की तरह सूंघते और सिनए मुबारक से लिपटाते।
हुज़ूर ज़ की चची हज़रते उम्मुल फ़ज़ल बते अल हदीश हज़रते अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की ज़ौजा एक रोज़ हुज़ूर ﷺ के पास हस्सिर हुई और अर्ज़: या रसूलल्लाह ﷺ आज में ने एक परेशान ख्वाब देखा, हुज़ूर ﷺ ने क़यामत ढाई गुना कर दिया। अर्ज़ किया: वे बहुत ही शदीद है। उन्हें उस ख्वाब के बयान की जुरअत न होती थी। हुज़ूर ज़ ने मुक़रर दरयाफ़ फ़रमाया तो अर्ज़ किया की में ने देखा की जसदे अतहर का एक टुकड़ा काटा गया और मेरी गोद में रख दिया गया। इरशाद फ़रमाया: आपने बहुत अच्छा ख्वाब देखा, انشال الله تعال ज़ फातिमा ज़हरा رमाي الله تعالي عنها को बेटा होगा और वह आपकी गोद में दी जाएगी।
ऐसा ही हुवा। हज़रते हुसैन رضي الله تعالي عنه पैदा हुए और हज़रते उम्मुल फ़ज़्ल की गोद में गए। उम्मुल फ़ज़ल फरमाती है: में एक रोज़ हुज़ूर द की खिदमत में हाज़िर हो कर हज़रते इमामे हुसैन को आप की गोद में दिया, क्या देखती हु की चश्मा मुबारक से आसु जारी है। या ने अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह:! ये हाल क्या है? फ़रमाया: जिब्राईल मेरे पास आया और उन्हों ने ये खबर दी की मेरी उम्मत इस फ़रज़न्द को क़तर में करेगी। को ने कहा: यह क्या? फ़रमाया: हा और मेरे पास इस के मक़्तल की सुर्ख मिटटी भी लाए।
* * [बेहाली, 6/468] *
* * [सवनहे कर्बला, 104] *
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* *_शहीदे करबला_🇸🇦 *
* _ कलेजा थाम लोगे जब पानहोगे- *
* - ये मज़मुन ह शहीदे करबलाका_ *
* ض संगीतकृ_ए_हुसैन ر🇲🇷ي الله تعالي عنه🇲🇷 *
* पोस्ट नम्बर 0 पोस्ट2⃣ *
* *_यज़ीद का मुख्तसर तज़किरा_ज़ी *
👉यज़ीद बिन। मुआविया अबू खालिद उमवी वो बद नसीब शख्स है जिस की पेशानी पर अहले बैत के बे गुनाह क़त्ल का सियाहनीश है और जिस पर हर क़रन में दून्याए इस्लामलाहमत करता रहा है और क़यामत तक इस का नाम तहक़ीर के साथ लिया जाएगा।
इसकी शरारते और बेहुदगिया ऐसी है जिन से बदबूशो को भी शर्म आ गई। अब्दुल्लाह बिन हसनला गसिल رुल्ي الله تعالي عنه ने फ़रमाया: खुदा की क़सम! हम ने यज़ीद पर उस वक़्त खुरुज किया जब हमे अन्देशा हो गई की उस की बड़कारियो के सबब आसमान से पथ्थर बरसने लगे।
महरमत के साथ निकाह और सूद वगैरा मुंहियटिक को इस बे दिन ने अलानिया रवाड दिया। मदीना वाइज की हुर्मती बनाई। ऐसे शख्स की हुकूमत गुर्ग की चोपानी से ज्यादा खतरनाक थी।
सी 59 ही में हज़रते अबू हुरैरा ر الي الله تعالي عنه ने दुआ की: या रब! में तुजसे पनाह मांगता हु सी 60 ही के आगाज़ और लड़को की हुकूमत से।
रुयानी ने अपनी मुन्नद में हज़रते अबू दरदा सहाबी ر الي الله تعالي عنه से एक हदीश रिवायत की है की हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया, मेरी सुहत का पहला बदलने वाला बना उमय्या का एक शक्स होगा जिसका नाम यज़ीद होगा।
अबू ओरला ने अपनी मुन्नद में हज़रते अबू उबैदा ر الي الله تعالي عنه से रिवायत की, हुज़ूर फ़ ने फ़रमाया: मेरी उम्मत में अदलो इंसाफ़ा क़ाइम यहाँ रहेगा के पहले तक अंदाज़ व बानिये सीम बने उमय्या के एक शायरों के नाम है।
* [[सवनहे कर्बला, ११२] *